आखिरी मुहब्बत
मेरे नसीब के हर एक पन्ने पर
मेरे जीते जी या मेरे मरने के बाद
मेरे हर इक पल हर इक लम्हे में
तू लिख दे मेरा उसे बस,
हर कहानी में सारे क़िस्सों में
दिल की दुनिया के सच्चे रिश्तों में
ज़िंदगानी के सारे हिस्सो में
तू लिख दे मेरा उसे बस,
ऐ खुदा ऐ खुदा
जब बनूँ उसका ही बनूँ
उसका हूँ उसमें हूँ उससे हूँ
उसी का रहने दे मुझें हमेसा,
मैं प्यासा हूँ वो है दरिया
वो ज़रिया हैं जीने का मेरे
मुझे घर दे गली दे शहर दे
उसी के नाम का हर डगर दे,
कदम चले या रुके उसी के वास्ते
दिल में उठें बस दर्द ही उसका
उसकी ही हँसी गूँजे मेरें कानों में
ओ ही हावी रहें मेरें दिलोदिमाग पर,
मेरे हिस्से की खुशी को हँसी को
तू चाहे आधा कर दे
चाहे ले ले तू मेरी ज़िंदगी
पर मुझसे ये वादा कर
उसके अश्क़ों पे ग़मों पे दुखों पे
उसके हर ज़ख्मों पर
बस मेरा ही हक़ रहे
हर जगह हर घड़ी उम्र भर
अब फ़क़त हो यही वो रहे मुझमें ही
और ज़ुदा कहने को बिछड़े ना
मुझसें क़भी भी कहीं भी किसी मोड़ पर ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
देवरिया उत्तर प्रदेश