महिला दिवस काव्य लेखन प्रतियोगिता “बचा लो बेटी का सम्मान”
सशक्तिकरण की जयकारों से गूंजेगी मां वसुंधरा,
दुर्गा स्वरूपा शक्ति दायनी की चर्चाओं से अंर्तमन मेरा पूछ पड़ा,
वेदों में पुराणों में महिमा नारी की गाते हो,
गर्भ में कन्या आ जाए तो क्यों भ्रूण हत्या करवाते हो।
नदियां नाले में फेंककर कुत्तों से नुचवाते हो,
बेटों की आशा करते और बेटी बोझ बताते हो।
जब गोद सूनी होती तो अनाथश्रमों की चौखट पर जाते हो,
बेटा गोद में होता है तो बेटी का अपमान करवाते हो।
गुरूद्वारे, मंदिर, मस्जिद में मन्नत मांगने जाते हो,
पुत्ररत्न की प्राप्ति खातिर मनमानी भेंट चढ़ाते हो।
दहेज के भूंखे मानव के घर बेटी की बली चढ़ाते हो,
यश और कीर्ती पाने की खातिर नारी माध्यम बनाते हो।
मां बहनों को कटुक वचन से सीने पर गाज गिराते हो,
वहशी दरिंदे, पशु असुर सब हबस का शिकार बनाते हो।
शक्ति स्वरूपा दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी ये नारी के रूप है,
मनमोहिनी शीतला काली इनके स्वरूप अनेक है।
न ललकारों नारी शक्ति को नारी को नारी रहने दो,
करुणामई, ममतामई नारी को शीतलता से बहने दो।
अगर जाग गई नारीशक्ति तो महाप्रलय आ जाएगी,
सर्वनाश होगा पापियों का जग में हाहाकार मच जाएगी।