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डा० स्नेहिल पांडेय की कविता “बनों महान”

नन्हे मुन्ने बनो महान…
तुम सब हो भारत की संतान..
कोयल जैसी बोली बोलो..
शीतल मंद पवन से डोलो…
तरु की घनी छांव सी छाया ..
उपकारी हो तेरी काया..
फूलों की खुशबू से महको..
नन्ही गौरैया से चहको..
बहते नदी सरीखे पानी …
बनो कर्ण जैसे तुम दानी…
साफ- स्वच्छ परिवेश बनाओ..
पेड़ तुम खूब लगाओ..
पानी की हर बूंद बचाओ …
पर्यावरण प्रहरी कहलाओ..
मानवता के रक्षक बनकर…
दीनदुखी की पीड़ा हरकर..
लवकुश जैसे बनो महान..
तुम सब हो भारत संतान…

 

                 रचयिता
         डा० स्नेहिल पांडेय
(राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका)