देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता
कविता
(1)”प्रेम की गहराई”
यदि दिल की गहराइयों से
प्यार करते हो मुझसे
तो सोते फूटेंगे ज़रूर
उन्हीं गहराइयों से बहेगा
झरना झर-झर,कल-कल
हर एक जलकण से
जन्मेगा प्रेम मोती
खिल उठेगी सीप मुंह बाए
सागर की गहराई में
होता है अन्त जहां
प्रेमी युगल विश्राम करते हैं
बातें दो-चार करते हैं
पर प्रेम की गहराई
होती है अनंत !!!!!
(2) “वज़ूद”
न होते हुए भी तुम्हारा वज़ूद
घेरे रहता है मुझे
जैसे चंद्रमा को वलय
घंटों चलता है
मौन सन्लाप तुमसे
निकल जाती हूं
बहुत दूर तुम्हारे साथ
किसी पहाड़ी के नीचे खेत में
सुनती हूं पसंदीदा गीत
जो गुनगुनाए थे कानों में
सामने शीशे से तुम ही
देखते हो मेरी चुस्त पोशाक
‘बड़ी सुंदर हो तुम’
कानों में फुसफुसाते हो
जिंदा रहते हुए
जन्नत दिखाते हो तुम
अब यह तुम हो या हम
कहना है मुश्किल क्योंकि
तुम्हारा वज़ूद हमारे वज़द में
थोड़ा घुल सा गया है!!!!!