प्रेम काव्य प्रतियोगिता हेतु , साँचा बंधन
साँचा बंधन
सतवर्णी रंगों से सज कर
जब कान्हा तेरी प्रीत खिले
राग , अनुराग, भाव, अनुभाव .
सब जीवन राधा को मिले
अधखुले नयन मद से भरे
लरजते अधर रस से भरे
गोल कपोल लाल, लाल
हुलस कर हिय हिलोर करे
न पंड़ित न वेदी न फेरे
मंत्र न सिंदूर भाल मेरे
बांधा साँचा बंधन तुझसे
सजन वचन भी न चाहूँ तेरे
देह का रखूँ न मान
मन सम्मिलन को दिया मान
तुझमें ही समा जाऊँगी
चाहे रहे या जाए प्राण