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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

नारी तूं सच में बलशाली।

नारी हर परिवार की धुरी,

सुबह से शाम,

सबको घुमाती,

सारा प्रबंध करती,

फिर आखिर में आराम करती,

इसलिए ये परिवार की सीईओ कहलाती,

नारी तूं सच में बलशाली।

 

अगर एक दिन तूं हो जाए अनुपस्थित,

सबकी अक्ल ठिकाने आ जाती,

जब सुबह से शाम लगती दौड़,

अच्छे अच्छों को आते फिर होश,

नारी का होता वोध,

नारी तूं सच में बलशाली।

 

अगर आ जाए घर में बिमारी,

तो तूं चिकित्सक बन जाती,

डट जाती रात दिन,

जब तक बिमारी भाग न जाती,

नारी तूं सच में बलशाली।

 

अगर हो बच्चों को पढ़ाना,

तूं बन जाती अध्यापिका,

फिर बच्चों को ऐसे ऐसे घुर सिखाती,

सब अध्यापकों पे पड़ती भारी,

इसलिए तूं पहली गुरु कहलाती,

नारी तूं सच में बलशाली।

 

अगर करना हो किसी का आदर सत्कार,

नारी पे आता सबका ध्यान,

उसको सौंपा जाता ये काम,

और तूं उसमें भी सफल हो जाती,

नारी तूं सच में बलशाली।

 

अगर संभालना हो परिवार का वित्तीय विभाग,

नारी जैसा न हो दुसरा विकल्प,

जब कभी पड़ती पैसे की आवश्यकता,

तूं तूरंत आगे बढ़कर काम आ जाती,

नारी तूं सबसे बलशाली।

ये तो रही इंसानों की बात,

नारी के आगे तो भगवान भी नतमस्तक,

अगर तूं ठान लें कुछ करने की,

भगवान भी नहीं रोक पाते तेरा दृढ़ निश्चय, नारी तूं सच में बलशाली।

 

जब इतनी प्रतिभाओं से संपन्न,

हर काम में निपुण,

परिवार की धूरी,

समाज की रीढ़ की हड्डी,

तो फिर सब मिलकर क्यों न करें इसका गुणगान,

और बोलें,

नारी तूं सचमुच महान,

नारी तूं हैं दुनिया की शान,

नारी तूं हैं सच में बलशाली।