आदित्य तिवारी की कविता – ‘समर्पण’
ये जीवन जितनी बार मिले
माता तुझको अर्पण है
इस जीवन का हर क्षण ,हर पल
माता तुझको अर्पण है।
यही जन्म नहीं, सौ जन्म भी
माता तुझ वारूँ मैं
इस धरती का मोल चुकाने
मेरा सब कुछ अर्पण है।
तन अर्पण, यह मन अर्पण है
रक्त मेरा समर्पण है
निज राष्ट्र धर्म की रक्षा में
मेरा जीवन अर्पण है।
मेरा तरुण प्रसून अर्पण
घर का कण-कण अर्पण है
तोड़ कर सारे सम्बन्धों को
मेरा हीय समर्पण है।
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