महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता
नारी
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।
ईश्वर की ये अनुपम रचना,
मानव जीवन का वरदान।।
अस्तित्व नहीं था लहरों का,
जलधि यदि नहीं होता आज।
शक्ति भक्ति जगत की जननी,
बिन नारी न होता समाज।।
नारी है अस्तित्व हमारा,
उसका खूब करो गुणगान।
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।।
सागर सी गम्भीर रहे ये,
पर्वत सी रहती ये धीर।
आसमान सा आँचल इनका,
बहे नैनों में नदी नीर।।
इनको फिर जो अबला कहते,
करते वह नारी अपमान
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।।
जन्म सुवीरों को जो देती,
कैसे कहें उसे कमजोर।
त्याग करुणा और ममता की,
सच में नारी पक्की डोर।।
भूखी प्यासी रहकर खुद ये,
रहे परिवार पर कुर्बान।
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।।
मानते परिवार पतंग हम,
नारी उसकी डोर स्वरूप।
नारी शोभा और सहारा,
नारी ही है छाया धूप।।
जल में थल में नभ में घर में,
बना रही नारी पहचान।
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।।
नारी धन है जीवन नारी,
नारी लक्ष्मी कुल का मान।
माता पत्नी बेटी बहना,
बिन इनके जीवन सुनसान।।
वैदिक ऋचा ये कृष्ण गीता,
ममता की है अनुपम खान।
नारी का सम्मान करो रे,
करो नहीं उसका अपमान।।
-डॉ. जोगेन्द्र कुमार-
एसोसिएट प्रोफेसर
बी एल जे एस कॉलेज
तोशाम (भिवानी)
हरियाणा
Mob. 9466234509