डा अशोक पण्ड्या के गीत
जिन्दगी एक गीत है
गीत जिस पर लिखे गए अनेकों गीत हैं
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिन्दगी एक गीत है ।
गुनगुनाते अनेकों अधर
अपने प्रणय की गीति को
आलाप करते प्रफुल्ल मन
आप उपजी प्रीति को,
हंसते हुए बीतजाय यह जिंदगी
यों गीत गाती आरही यह बंदगी
गीत जिसपर लिखे गए
अनेकों गीत हैं
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिन्दगी एकदम गीत है ।
पंछियों के कलरव को भी
कहते हम यह एक गीत है
कलकल बहते जल प्रवाह से
भी सुनते हम संगीत हैं ,
प्रकृति का नाम मानो
दूसरा यह गीत है।
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिन्दगी एक गीत है।
गीत जिसपर लिखे गए
अनेकों गीत हैं,
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिंदगी एक गीत है।
नहीं कह रहा मैं आपसे
आनन्द ही बस गीत है,
दुखियों की दर्द भरी आह में भी
मिल जाता हमें गीत है ।
आनन्द के उत्संग में ही
पलना नहीं गीत है,
कण्टकों के जाल में
रोना भी तो एक गीत है ।
गीत जिसपर लिखे गए
अनेकों गीत हैं,
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिन्दगी एक गीत है ।
सुख की हो या दुःख की
कल्पना मात्र एक गीत है
चेतन की तरह जब में भी
विद्यमान यह गीत है ।
अनन्त आनन्द पा कर भी
गाया जाता यह गीत है,
लेकिन वेदना का श्रृंगार
भी तो यह गीत है ।
गीत जिसपर लिखे गए
अनेकों गीत हैं,
जी रहे हैं हम जिसे
वह जिन्दगी एक गीत है ।।
– डा अशोक पण्ड्या
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