अनवर हुसैन की कविताएं
आजादी के दीवाने जो
आजादी के दीवानों जो
सर पर बांधे कफ़न निकले थे
लहू में मिला के अपने जो
आजादी वतन निकले थे
सरफरोशी की थी जिनकी तमन्ना
दिलों में आज भी जिंदा है
सच बताओ पाके आजादी
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
इंकलाब का दे के नारा
इंकलाब जो लाए थे
जिन के बनाए बमों से
दुश्मन भी घबराएं थे
आजादी के दीवानों की
यादें आज भी जिंदा है
सच बताओ पाके आजादी
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
भारत मां की अस्मिता जिनको,
जान से अपनी प्यारी थी
हंस के कफ़न पहनने की यारों
जिन के लहू में खुमारी थी
माटी के फरजंदो का,इंकलाब
आज भी यारों जिंदा है ।
सच बताओ पाके आजादी
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
पहने झोला वो बसंती
देते कौमी तराना बढ़ गए
हाथों में लिए तिरंगा
सूली पे हंसते चढ़ गए
राष्ट्र प्रेम की जली चिंगारी
दिलों में आज भी जिंदा है
सच बताओ पाके आजादी
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
अमर हुए मतवाले, दीवाने
पाके शहादत वतनपरस्ती में
नाम सुनहरा कर लिया
सब , दीवानों की बस्ती में
हर दिल में उन दीवानों की
जोत आज भी जिंदा है।
सच बताओ पाके आजादी,
हम आज भी क्यूं शर्मिंदा है।
- संपर्क : सरवाड़, अजमेर, मो -8432286233