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मुस्कुराता सूरज जीवन दर्शन

सूर्य मुस्कुराता छितिज पर
भाव चेतना मकसद मंजिल
का पैगाम लिये।।
नया सबेरा उम्मीदों
विश्वास की नई किरण
उदय उदित उड़ान स्वर्णिम भविष्य का
उत्साह खुशियों का पैगाम लिये।।
उदय प्रशांत की गहराई
अंतर्मन से दिव्य दृष्टि के
आसमान में मानवता का
सम्मान लिये।।
सूर्य स्वय देव
त्रिभुवन में आता युग
का देव प्रथम तमस मिटाते
सर्वोच्च शिखर पर मानव
मानवता का संसार लिये।।
शौर्य सूर्य का प्रतिदिन प्रातः
अभिवादन आचरण मिल
जुल कर साथ रहें युग मे
प्रातः बेला दिन का अभीष्ट
विशिष्ठ इष्ट दिनेश प्राणी
प्राण की गरिमा गौरव मान लिये।।
नव जागृति कासंचार उत्साह
बैभव विकास का निर्माण
सत्य समपर्ण निष्ठा साथ लिये।।
पल प्रहर दिन महीना साल
युग प्रवाह संस्कृति संस्कार
कर्म धर्म श्रम सत्यार्थ व्यवहार
का युग साथ आवश्यकता आविष्कार
लिये।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश