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आश्रित सेवारत नारी भाग एक

बचपन की खुशियां
माँ बाप के मन आँगन
घर आँगन की किलकारी
बेटी लक्ष्मी अरमानो की
आशा प्यारी।।
पलको पे बिठा रखा
माँ बाप भाई बहनों ने
कोई कमी नही होने दी
जरा सी बात भी हो जाए
लाँडो के लाड प्यार में सर
पे दूँनिया सारी उठा ली सारी।।
शिक्षा दीक्षा प्यार परवरिस में
धन दौलत जीवन का पल पल
बिटिया के भविष्य पर मिटा दी सारी।।
चिंता नही खुद के चौथेपन का
क्या होगा बिटिया खुशहाल रहे
जीवन और जुगत लगा दी सारी।।
दूँनिया की कातिल नज़रों
से बिटिया को महफूज किया
बुरी नज़रों से बिटिया को दूर किया
चाहे किसी हद दर्द से हो गुज़रना
चाहे हो परेशानी झेल गए सारी।।
बिटियां हुई सयानी कूबत
दिल दौलत से
खोजा जीवन साथी बिटिया के मन माफिक।।
धुम धाम उत्साह उल्लास से
बिटिया की कर दी शादी बाबुल
घर छोड़ बिटिया पराए कुल परिवार
की बन गयी थाती।।
खिशियों का दामन शुभ मंगल ही
मंगल चाहत का पिया घर प्रेम
स्नेह परिवार समाज का प्रियतम
जीवन साथी।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर