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बस इतना ही बहुत है

भले ही मजधार में, 

जीवन की नौका हो,

मैं हूँ और तुम भी हो 

बस इतना ही बहुत है ।1।

नीरव में ठहरी कश्ती, 

साहिल का पता नहीँ, 

तुम हो बस खेवनहार, 

बस इतना ही बहुत है।2।

धीमी गति की नौका में, 

चप्पू भी पास नहीं है, 

हौसला है, इन बाजू में ,

बस इतना ही बहुत है ।3।

इस ओर हम बाजू का, 

उस ओर, तुम बाजू से, 

यूँ लहर पर चप्पू मारेंगे, 

बस इतना ही बहुत है ।4।

हो भले ही ,निर्जन थल,

खुशी का पर्व बनायेंगे,

हम हैं, तुम हो, धीरज है,

बस इतना ही बहुत है ।5।

बस्ती बसेगी हौसले से, 

हस्ती नहीं कभी मिटेगी, 

इन साँसों में गर्माहट है, 

बस इतना ही बहुत है ।6।

जहाँ पर हम दोनों रहेंगे,

इतिहास भी वहीं रचेगा, 

भरोसा है हमें तुम पर,

बस इतना ही बहुत है ।7।