कुंडलिया
कुण्डलिया
हिन्दी को अपनाइए, जनता की यह मांग ।
यही राष्ट्र भाषा बने,नही अड़ायें टांग ।
नही अड़ायें टांग, देश हित में यह भाषा, ।
बचे मान सम्मान, राष्ट्र हित में है आशा ।
करिये इस पर गौर, न हो अब छल जयचन्दी।
लाकर अध्यादेश, अभी अपनाये हिन्दी।
सहमत हो सब राज्य ।– कुण्डलिया
सहमत हो सब राज्य मिल, आवश्यक यह कार्य ।
पूर्ण राष्ट्र भाषा बने, हिन्दी ही स्वीकार्य ।
हिंदी ही स्वीकार्य, राष्ट्र अपना ये माने ।
प्रजातंत्र आधार, इसी को दिल से जाने ।
कह प्रवीण कविराय, बने संसद में जनमत ।
हिंदी को दे मान, राज्य सारे हों सहमत ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ।
मित्रों सादर समर्पित है कुण्डलिया
भाषा चुनिए वोट से,लोक तंत्र दरबार ।
डाले मत अपना सभी, प्रजातंत्र आधार ।
प्रजातंत्र आधार, अधूरी सबकी आशा।
हिंदी भाषा बने, राष्ट्र भारत की भाषा ।
कह प्रवीण कविराय, लोक नायक से आशा।
हिंदी चुनकर बने, आज भारत की भाषा
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, सीतापुर