1

A Rainy Day With a Beautiful Girl…!!

सुबह के नौ बजे थे। मैं तैयार था स्कूल जाने को। आंगन में किसी के पायल की आवाज़ एक मधुर गीत का संचार कर रही थी। मेरी उत्सुकता ने बाहर झांक कर देखा । सफेद रंग की पोशाक में लिपटी वो…स्वर्ग की परी सी…बारिश की बूंदों के बीच…भींगती…नाचती…मुस्कुराती। मैं…स्तब्ध सा देखता रहा।

अचानक…अपनी धुन में ही खोई हुई उसकी आंखों ने मुझे देख लिया। फिर क्या…वो भागी मेरी ओर। वैसे तो बारिश में भीगने का मेरा कोई इरादा नहीं था लेकिन उसके निः शब्द आदेश के आगे मैं कुछ भी ना कह सका। अपने कोमल हांथों से उसने मेरा हांथ पकड़ा…और खींच ले गई मुझे भी अपने साथ…उस आंगन में…जहां बादलों से साक्षात इंद्रदेव पानी की बौछार कर रहे थे।

अपने हांथो में मेरे हांथ को लेकर वो नाचने लगी…झूमने लगी। अपनी गर्दन आसमान की ओर किए…बारिश की हर एक बूंद को महसूस करती उस लड़की ने मेरे हृदय को एक अद्भुत प्रेम से परिपूर्ण कर दिया था।

पूरी तरह भींग चुके थे हम लोग। ना तो बारिश रुकने का नाम ले रही थी…ना ही उसका मिजाज़। बिजली कड़कती…तो वो मेरे गले से लग जाती…और जैसे ही बिजली का कड़कना बंद होता…फिर से झूमना शुरू हो जाता उसका। गजब का दिन था वो बरसात का।

मैंने उससे कहा…अंदर चलो…तबीयत खराब हो जाएगी। मत भीगो इतना। लेकिन वो कहां मानने वाली। जितना ही मैं मना करता…उतनी ही जोर से हंसती वो…उतनी ही जोर से नाच उठती। सच मानो तो पहली बार मैंने ऐसी नैसर्गिक सुंदरता को महसूस किया। पहली बार महसूस किया…उस प्रकृति को…जो ईश्वर ने हमें निःशुल्क दे रखी है। उन बारिश की बूंदों ने मुझे एहसास कराया कि दुनिया में और भी बहुत कुछ है…जहां कोई अपनी खुशियों को तलाश कर सकता है।

उस परी ने ना सिर्फ मुझे एक खुशी की राह दिखाई बल्कि ये भी बताया कि कैसे ये बारिश की बूंदे हमारे जीवन को एक नया आयाम प्रदान करती हैं।

मैं और वो…!! वो परी…!!! काफी देर तक उस बारिश में भीगते रहे…नाचते रहे…गाते रहे… सच कहूं तो…जीवन को सही मायने में जीते रहे।

उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति मैं कृतज्ञ हूं कि मेरे जीवन में उसने उस परी को भेजा। वो परी…जो बेहद खूबसूरत है…प्यारी है…मेरे हृदय के बेहद करीब है। वो छः वर्ष की नन्ही सी परी…मेरी जान है…मेरी बहन है।

©ऋषि देव तिवारी