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इतिहास और वर्तमान का संधि स्थल हैदराबाद

 

रिपोर्ट 
शीर्षक- इतिहास और वर्तमान का संधि स्थल हैदराबाद

तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद,श्रमजीवी लोगों का शहर हैदराबाद,जिसका इतिहास और वर्तमान दोनों ही सुंदर है।यह वह स्थान रहा है जहाँ हिंदू और मुसलमान दोनों शांति पूर्वक शताब्दियों से साथ साथ रह रहे हैं।अविभाजित राज्य आंध्र प्रदेश की राजधानी पहले हैदराबाद ही रहा,बाद में 2014 में तेलंगाना राज्य के गठन के बाद इस राज्य की राजधानी हैदराबाद बन गया। हैदराबाद को ‘निजामो का शहर’ और ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है। हैदराबाद से सटा सिकंदराबाद शहर है,इन दोनों शहरों को जुड़वा शहर के नाम से जानते हैं। यह शहर दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है।
ऐसा माना जाता है कि इस खूबसूरत शहर को कुतुबशाही के पांचवे वंशज मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था। पहले इसे भाग्य नगर के नाम से जानते थे,बाद में वह हैदर बेगम के नाम से जानी गई और यह शहर भी हैदराबाद के नाम से जाना गया। इस इतिहास को आज भी हम यहाँ के गोलकुंडा के दुर्ग में देख सकते हैं। गोलकुंडा का किला एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक भ्रमण स्थल भी है।
हैदराबाद और सिकंदराबाद के बीच स्थित हुसैन सागर मानव निर्मित झील है जो हमेशा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहाँ नेकलेस रोड की खूबसूरती देखते ही बनती है 1591 इस्वी में मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने शहर के बीच चारमीनार का निर्माण करवाया था। चारमीनार का क्षेत्र आज भी विशेष संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। चारमीनार की गलियाँ, चारमीनार की चूड़ियाँ, मोतियों से बने आभूषण के लिए चारकमान बाजार,कलमकारी कलाकृतियाँ,आदि के लिए चारमीनार क्षेत्र जाना जाता है। चारमीनार क्षेत्र को अब पुराना शहर के नाम से जानते हैं, जहाँ मक्का मस्जिद स्थित है।
हैदराबाद शहर अपने सौंदर्य और समृद्धि के लिए जाना जाता है।यहाँ सालार जंग संग्रहालय,बिरला मंदिर, हुसैन सागर में स्थापित बुद्ध प्रतिमा, एनटीआर गार्डन,लुम्बिनी पार्क आदि प्रसिद्ध भ्रमण स्थल हैं। हैदराबाद श्रेष्ठ स्थान है जहाँ बड़े- बड़े अस्पतालों के साथ-साथ फार्मा कंपनियां भी स्थापित हैं।सूचना प्रौद्योगिकी में तो यह बहुत आगे निकल गया है । हैदराबाद को अब साइबराबाद के नाम से पुकारा जाता है।हाइटेक सिटी में हम तकनीकी संस्कृति को देख सकते हैं।
यह शहर विभिन्न संस्कृतियों एवं परंपराओं का मिलन स्थल है।समझ लीजिए यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत दोनों के बीच का मुख्य द्वार है। तेलुगू फिल्म उद्योग की मातृभूमि हैदराबाद शहर ही है।यहाँ अन्नपूर्णा स्टूडियो,रामा नायडू स्टूडियो, राम कृष्ण स्टूडियो, पदमालय स्टूडियो, रामोजी फिल्म सिटी आदि प्रसिद्ध उल्लेखनीय फिल्म स्टूडियो हैं जहाँ फिल्मों की शूटिंग होती रहती हैं।नवाबी परंपरा, निजामो की संस्कृति,नवाबी भोजन का स्वाद आदि बातें इस शहर को देश-विदेश में अलग पहचान देते हैं तो दूसरी तरफ मंदिरों के खूबसूरत नक्काशी, गणेश पूजा का विशेष रूप ,चिलकूर बालाजी मंदिर आदि सभी को आकर्षित करते हैं। हैदराबाद ऐसा शहर है जहाँ के लोग सामाजिक दायित्व के प्रति सजग रहते हैं। हैदराबाद शहर को सभी मार्गो से जोड़ा गया है इसलिए यहाँ पहुँचना भी आसान है।आज हैदराबाद शहर हमारे देश का गौरव बन गया है,पर्यटक भी काफी संख्या में यहाँ आते रहते हैं।

रचनाकार- मनोरमा शर्मा
स्वरचित एवं मौलिक

हैदराबाद 

तेलंगाना