कोरोना संकट में कार्यरत योद्ध़ाओं का संघर्ष
कोरोना संकट में कार्यरत योद्ध़ाओं का संघर्ष
हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण आज हम अपने- अपने घरों में बंद हैं और इस प्रकोप से बचने के लिए हम घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं। हम अपने घरों के अंदर जिस प्रकार रह रहे हैं, उसी से ही इस कोरोना महामारी का निवारण होगा और हम सुरक्षित रह पाएंगे। परंतु इसी बीच यह बहुत ही विचारणीय विषय है कि इस वैश्विक महामारी का सामना करने के लिए हमारे देश के अनेक विभागों के सेवाकर्मी हमारे लिए देवदूत बनकर खड़े हैं और डटकर मुकाबला कर रहे हैं, जो कोरोना से पीड़ित हैं, उनकी रक्षा कर रहे हैं। और जो इस से अनजान हैं, बेघर हैं या अपने घरों से बाहर हैं, उनको घर जाने की सलाह पुलिस दे रही है। घरों से निकलने वाला कूडा़- कचरा इत्यादि सफाई कर्मी उठा रहे हैं वहीं घरों में रोजाना बिजली- पानी की व्यवस्था व सब्जी विक्रेता की व्यवस्था और जो गरीब है जिनके पास खाना नहीं है, उनकी खाने पीने की व्यवस्था प्रशासन कर रहा है। उन सभी प्रशासनिक सरकारी गैर-सरकारी या निजी मानव कल्याण करने वाले मानवता के धनी हैं, जो हमारे लिए घरों से बाहर अपनी जान की परवाह किये बिना सेवा पर हैं। उनका वर्तमान में इन विकट परिस्थितियों में अमूल्य योगदान है। जिसका कोई नहीं है, उनकी रक्षा- सुरक्षा हमारे देश के कर्मचारी कर रहे हैं। जिनमें प्रमुख हैं- चिकित्सक, पुलिस, सफाई कर्मी, जल बोर्ड सेवाकर्मी, शिक्षक, पटवारी, अन्य सब्जी विक्रेता इन विकट परिस्थितियों में अमूल्य योगदान दे रहे हैं।
देवदूत चिकित्सक – लोग देवता के रूप में आज चिकित्सक देवदूत बनकर कोरोना पीड़ित पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह करनी छोड़ दी है। उदाहरण में दिल्ली के एम्स/ सफदरजंग जैसे चिकित्सालय की बात करें तो यहाँ के कर्मचारी दिनभर पूरी निष्ठा से अपना काम करें हैं और जबकि वहीं छोटे से छोटे स्तर पर गाँव की एक- एक एएनएम महिला भी अपनी पूरी जिम्मेदारी व निष्ठा से निभाती हुई अपने गांव की कोरोना से बचाव की रक्षा कर रही है। इस आपातकाल की घड़ी में रोग को भगाने के लिए इनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।
देवरक्षक पुलिस और सेना- हमारी पुलिस और सेना का योगदान आज देवरक्षक का स्वरूप हमें देखने मिल रहा है्र। अधिकतर पुलिस का नाम आते ही हमारे मन में पुलिस का एक चेहरा भी कभी-कभी सामने आ जाता है। जिससे भयभीत होते हैं और पुलिस को यहाँ तक कि रिश्वतखोर भी कह देते हैं। जबकि हम अपने यातायात मापदंडों को पूरा नहीं कर पाते हैं और दोष पुलिस को देते हैं। सेना का सच्चा स्वरूप आज हमारे पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत है। आज पुलिस का हर एक-एक कर्मी हर एक-एक गली मोहल्ले चौराहे पर खड़ा है और हमारे लिए हमारी सुरक्षा के लिए हमारे देश के लिए अपनी जान दाँव पर लगाते हुए जीवन को समर्पित करते हुए, की गई दूसरों की रक्षा सबसे बड़ा धर्म है यह आज सेना के साथ-साथ पुलिस ने भी साबित कर दिया पुलिस का यह योगदान वंदनीय है।
सफाई कर्मियों की अनन्य सेवा– सफाई कर्मी हमारे देश में सबसे महŸवपूर्ण एक अंग है। क्योंकि घरों से निकलने वाला कूड़ा- कचरा यदि न उठाया जाए तो गंदगी फैलती है। इस गंदगी को साफ करने के लिए सफाई कर्मी भी इस आपातकालीन परिस्थिति में अपने काम पर हैं और पूरी निष्ठा से सेवा दे रहे हैं।
जल और विद्युत विभाग कर्मियों की अनन्य सेवा- जल और विद्युत विभाग कर्मी भी अपनी जान की परवाह न करते हुए, इस आपातकाल में अपना योगदान पूरी निष्ठा से सेवा देते हुए कर रहे हैं। जल और विद्युत विभाग कर्मी शहर हो या गाँव, कस्बा हो किसी भी क्षेत्र में चाहे वह सरकारी निकाय हो चाहे वह गैर सरकारी निकाय हर जगह बिजली और पानी की सुचारू रूप से पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए इसलिए सभी प्रदेशों के जल बोर्ड के सभी सेवाकर्मी भी अपने- अपने काम पर हैं। और पूरी निष्ठा से अपना काम कर रहे हैं। हमारे भारतवर्ष में इन्हीं कर्मचारियों की वजह से सभी के घरों में पानी की किल्लत नहीं आई। क्योंकि इनकी लग्न और सेवा ही सच्ची देशभक्ति है। बिजली बोर्ड भी एक अपनी निजी निकाय है। अपने सभी अधिकारी कर्मचारी सेवा करते हुए अपने- अपने काम पर हैं। और सुचारू रूप से अपनी सेवा दे रहे हैं। क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र, गाँव, कस्बे में बिजली की महŸा आवश्यकता है। जबकि जितने भी सरकारी निकाय गैर सरकारी निकाय या अन्य सरकारी तंत्र जो विद्युत विभाग द्वारा चलते हैं। वहाँ बिजली की आवश्यकता है, अतः पानी और बिजली कर्मियों सेवा कर्मियों का योगदान अनन्य है।
खाद्य व दवा आपूर्ति करने/ बेचने वालों का योगदान- फल विक्रेता सब्जी बेचने वाले अपनी जान दाँव पर लगाकर प्रत्येक घरों तक सब्जी पहुंचा रहे हैं। राशन, किरयाना और मेडिकल की दुकान वाले निर्धारित विभागीय आदेश का पालन कर रहे हैं। ताकि आम जनता को परेशानी न हो। सभी को जरूरी सामान सुलभ हो सके।
प्रशासनिक विभाग के विभिन्न निकायों के कर्मचारियों की अप्रत्यक्ष रूप से अपनी- अपनी सेवा-यह योगदान प्रशासन के अन्य निकाय के सेवाकर्मी /प्रशासनिक विभाग जैसे शिक्षा विभाग, राजस्व (पटवारी) विभाग, डाक विभाग सभी कर्मचारी अप्रत्यक्ष रूप से अपनी- अपनी सेवा दे रहे हैं। उदाहरण में दिल्ली सरकार द्वारा जो गरीब लोग हैं, जिनके घर अगर खाना नहीं बन पा रहा है, तो उन्हें सुविधा देने के लिए कई रिलीफ फूड कैंप बनाए गए हैं। यहाँ कैंप में सुबह और शाम दोनों समय गरीबों को भोजन करवाया जा रहा है/ वितरण किया जा रहा है। भोजन के वितरण व्यवस्था में अनेक शिक्षककर्मी अपने- अपने काम पर डटे हुए हैं। और इस आपातकालीन कोरोना की महामारी में भयंकर परिस्थिति में उनका यह अप्रत्यक्ष योगदान सारनाथ के चौथे शेर की तरह है जो दिखाई तो नहीं दे रहा, परंतु सम्माननीय है।
सरकार और सरकार के चुने हुए प्रतिनिधियों का योगदान- सरकारी निकायों के अतिरिक्त सरकार के प्रतिनिधि भी इस महामारी में अपना- अपना अमिट योगदान दे रहे हैं। वे अपने-अपने क्षेत्रों में भूखे या पीड़ित लोग या बीमार इत्यादि के प्रति पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से करते हुए उन्हें खाना, चिकित्सा, स्वास्थ्य, दवाई सारी व्यवस्था किए हुए हैं। हम समझ सकते हैं कि इस संकट की घड़ी में पार्टी से परे बिना भेदभाव के सभी कर्मियों/मंत्रियों का अपना- अपना योगदान सराहनीय है।
गुरुद्वारों का लाखों गरीबों के लिए भोजन का योगदान- धार्मिक दृष्टि से मंदिरों में, गुरुद्वारों का योगदान धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो लोग अपने धर्म और मत को भुलाकर गरीबों के लिए भोजन बनाया जा रहा है। उनकी रक्षा- सुरक्षा की जा रही है। उदाहरण में दिल्ली में लगभग सभी गुरुद्वारों में 5,00,000 लोगों के लिए रोजाना भोजन बनता है। इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। क्योंकि इस आपातकालीन परिस्थिति में इतने अधिक लोगों का भोजन की व्यवस्था अगर सरकार करती है। चाहे वह केंद्र की सरकार और राज्य सरकार को यह बहुत बड़ी चुनौती थी। परंतु शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी, बंगला साहिब दिल्ली ने आगे आकर लगभग लाख लोगों को खाने की व्यवस्था करवाई है और नियमित रोजाना करवाई जा रही है और इस व्यवस्था में कानूनी प्रावधान का पूरा पालन किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी गुरुद्वारों में पाँच लाख लोगांं का भोजन बन रहा है और वितरण किया जा रहा है। इसके साथ अनेक एनजीओ भी आगे आए हैं और उन्होंने अपना योगदान अनेक रिलीफ कैंप बनाकर भोजन सामग्री बना कर लोगों को खाने की व्यवस्था करवाई है।
निष्कर्ष में हम समझ सकते हैं कि यहाँ मानव कल्याण का परिचय दिया गया है। स्पष्ट है कि इस आपातकालीन स्थिति में आज पूरे विश्व में हमारे देश में कोरोना जैसी महामारी पर विजय प्राप्त कर ली है। क्योंकि विकसित कहे जाने वाले अपने आप को सुदृढ़ मानने वाले अमेरिका, रूस जैसे देशों के भी आज हाथ खड़े हो गए हैं। जबकि हमारा भारत देश की समस्त सरकारी निकाय, हमारे देश के समस्त सेवाकर्मी और गैर सरकारी सेवाकर्मी सभी का अपना- अपना और उन सभी के परिपेक्ष्य में ही हमने कोरोना पर सुनिश्चित विजय प्राप्त करेंगे।
हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”
हिन्दी शिक्षक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
9829960782
माता-पिता- श्रीमती गौरां देवी- श्री कालूराम भार्गव
प्रकाशित रचनाएं-
जलियांवाला बाग- दीर्घ कविता (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- खंड काव्य)
मैं हिन्दी हूँ- राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- -महाकाव्य)
साहित्य सम्मान –
- स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश
- साहित्य श्री सम्मान 2020- साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र
- ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक
- सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड
- कलम कला साहित्य शिरोमणि सम्मान 2020 – बृज लोक साहित्य कला संस्कृति का अकादमी आगरा
आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ, राजस्थान भारत
काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य-
वीर पंजाब की धरती (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- – महाकाव्य)
तुम क्यों मौन हो (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- -खंड काव्य)
उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना।