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चंद्रमा और कुमुदिनी

चंद्रमा और कुमुदिनी
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तुम जीवन-नौका के खेवैया
मैं संग तुम्हारे बहती गयी
उस पार उतरने की आशा में
तुमको हर पल तकती रही

आँधी और तूफां ने घेरा
पर, तुमने साथ कभी न छोड़ा
लहरों ने था हमें झकझोरा
डूबे थे पर ,हाथ न छोड़ा

नहीं जताया किंचित तुमने
जीवन में अवसादों को
सदा संभाले रखा तुमने
विचलित होते मेरे मन को

मैं बेसुध बन, नौका में तिर
संग हिचकोले लेती रही
जीवन की गहरी नदिया में
मस्तानी बन, बहती रही

गहरे-विस्तृत, हिम-सागर में
बिना झिझक ही तिरती रही
सुखद बनाया जीवन मेरा
बिन मौसम ही खिलती रही

साथ न छोड़ा पल भर मेरा
जीवन के झंझावत में
दिया सहारा तुमने हरदम
घनी-दुपहरी जीवन में

तुम मेरे जीवन के साथी
और मैं तुम्हारी सहसङ्गनी
संग बिताएंगे हम जीवन
जैसे चंद्रमा और कुमुदिनी

–सीमा पटेल