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कृष्ण की लगन

                               कृष्ण की लगन

मैं जबसे हुई तेरी भक्ति में मगन,
संसार के सुखों में रमे ना मेरा मन,
जैसे राधा को लगी हो कृष्ण की लगन,
वैसे ही तेरे नाम पर थिरकता है मेरा तन।
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काश मैं बन जाती तेरी बांसुरी की तान,
या फिर मैं बन जाती सुरों का गान,
अपने को न्योछावर कर रख लेती भक्ति का मान,
तेरे चरणों में अर्पित करती मेरे मन का दान।
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हे ईश्वर मेरे हृदय की वेदना को सुनना,
भूल होने पर मुझसे मुख कभी ना मोड़ना,
दुख के क्षणों में मेरा साथ कभी ना छोड़ना,
मुझ दीन से अपना नाता कभी ना तोड़ना।

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मैं जबसे हुई तेरी भक्ति में मगन,
संसार के सुखों में रमें ना मेरा मन,

जैसे राधा को लगी हो कृष्ण की लगन,

वैसे ही तेरे नाम पर थिरकता है मेरा मन l