नदी के साथ
मैं इस नदी के साथ,
जीना चाहता हूँ..
डूबना चाहता हूँ..
इसके भीतर!!
तैर कर सभी..
पार कर लेते हैं नदियाँ।
नाव पर घूमते हुए..
देखते हैं सभी।
मैं डूब कर भीतर तक
देखना चाहता हूँ भीतर से इसे।
बातें करना चाहता हूँ।
इसकी पीड़ा..
आजतक किसी ने नहीं सुनी
इसके भीतर की व्यथा,
जो अनंतकाल से..
धाराप्रवाह बहती चली आ रही
बिना रुके!!
मैं चाहता हूँ,
इसी क्षण रोक देना इसे
और बातें करना।
इसकी कल-कल की आवाज़
सुनते हैं सभी,
मैं सुनना चाहता हूँ, मौन!!
इसका हो जाना चाहता हूँ मैं,
सदा सदा के लिए!!