*जर ज़मीन जोरू होती है हर झगड़े की जड़*
*जर ज़मींन जोरू होती है हर झगड़े की जड़*
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
जर ज़मीन जोरू से हमेशा,हो जाती है तकरार।
यही तो तीनों चीज है ऐसी,जिससे मचती है रार।
झगड़े की जड़ ये हैं तीनों,मरने मारने को तैयार।
भाई-2 में झगड़ा करवाये,पटका पटकी की मार।
मूड़ फुटौव्वल भी होती है,व लाठी फरसा से मार।
यह ना देखे अपना पराया, चलें गोलियां भरमार।
अपनों का खून है बहता,लाशों पे लाशें गिरती हैं।
थानापुलिस,कोर्टकचेहरी,के चक्कर में फिरती हैं।
दीवानी फौजदारी मुकदमा,पीढ़ी दर पीढ़ी चलती।
न्याय नहीं मिलता है जल्दी,तारीखें मिलती रहती।
होता है पछतावा अंत में,अपनों के खून बहाने का।
छाती से जिन्हें लगा खेलाया,उनकी जानें लेने का।
परिवार के खुशहाली में,कैसी नजर लग जाती है।
इक दूजे को नहीं सुहाता,दिल में गांठ बन जाती है।
पट्टीदार कभी बन जाते,इन सब झगड़ों का कारण।
बनते स्वजन कभी हैं,जर,जमींन,जोरू का रावण।
क्या लेकर आया धरती पर,क्या लेकर तू जायेगा।
खाली हाथ ही आया था तू,खाली हाथ ही जायेगा।
रहो प्यार से आपस में,कम ज्यादा जो है सब्र करो।
भाई भाई ही होता है, दुश्मन बन के ना कुफ्र करो।
हँसी ख़ुशी सुख शांति,मिले मिलजुल कर रहने में।
क्या रखा है झगड़े की जड़,जोरू ज़मीन गहने में।
मात-पिता के लिए बराबर, उसके सब ही बच्चे हैं।
बिना कपट निज कर्मो से,बढ़ जाते हैं जो सच्चे हैं।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता-इंडिया
संपर्क : 9415350596