*ऋतुराज वसंत का शुभागमन*
रचना शीर्षक :
*ऋतुराज वसंत का शुभागमन*
कुछ धूप खिली कुछ फूल खिले।
मौसम भी देखो ले रहा अंगड़ाई।
अब शरद ऋतु यह है जाने वाली।
नहीं पड़ेगी ओढ़नी अब ये रजाई।
धरा पे अनुपम छटा का स्वागतम।
हो चुका है इस बसंत का आगमन।
ऋतुराज वसंत देख खुशियाँ छाई।
देखो यह कलियाँ कैसे हैं मुस्काई।
मन प्रसन्न व आह्लादित है कितना।
वृक्षों में अनगिनत कोपलें हैं आई।
दिखे प्रकृति में उल्लास चतुर्दिक।
जगा नव सृजन का भाव हार्दिक।
यह मधुमास वसंत बड़ा सलोना।
नई उमंगों के साथ खुशियाँ लाई।
कितना सुन्दर ये मौसम है होता।
ना गर्मी ज्यादा ना ठण्ड है होता।
वसंती बयार बहेगी हर पल अब।
घमछहियाँ अब अच्छी लगे भाई।
सोंधी मिट्टी की कुछ धूल उड़ेगी।
प्रकृति की अनुपम छटा दिखेगी।
पीली सरसों कैसे खिली खेत में।
चमक दिखे गंगा के बालू-रेत में।
पीत वस्त्र प्रिय वसंत पंचमी का।
पूजन हवन हो सरस्वती माँ का।
वन उपवन और मन खिल जाये।
जब धरती पर ये वसंत आ जाये।
नर नारी पशु पक्षी वृक्ष व तरुवर।
सब लगने लगते हैं अति प्रियवर।
सब ऋतुओं का है ये ऋतु राजा।
आया आया है वसंत ऋतु राजा।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596, 9369474233