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देखा है मैंने …!

 

देखा है ? मैंने देखा है

लोगों को करीब से बदलते देखा है…!

 

जो लोग बातों – बातों में ही अपना

हाल – ए दिल बयां करते थे..!

 

आज उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती …!

गम – ए हाल कम के नहीं, सबके यही हैं..!

 

ये समय भी तो है, पर ये तो समय है

इसको तो करवट लेते देखा है पर लोगों का क्या..!

 

देखा है? हाँ मैंने देखा है

लोगों को ही करीब से बदलते देखा है..!

 

देखा है मैंने समुद्र की लहर लपटों

को भी देखा है पर कुछ न कुछ लाते देखा है..!

 

ये नजरिया है देखने की वरना इनको

नव आशियां को भी उजाड़ते देखा है..!

 

कभी कुछ तो कभी बहुत कुछ हो तुम

ऐसा कहते देखा है…!

 

बातों – बातों में ही सबकुछ भी कहते देखा है

देखा है? हाँ हुजूर मैंने ..

 

देखा है लोगों को, बड़े करीब

से बदलते देखा है…!

 

देखा है? मैंने देखा है..!

कभी हर मर्ज की दवा हो तुम

 

ऐसा भी कहते देखा है…!

देखा है मैने लोगों को करीब से बदलते देखा है

 

कभी अपना तो कभी अपनापन

सब काम पड़ने पर दिखाते देखा है…!

 

कभी दिल, तो कभी जान हो तुम कहते देखा है

देखा है? हाँ मैंने लोगों को

 

बहुत करीब से बदलते देखा है…!

 

कभी दुःख – दर्द तो कभी आंखों

में आंसू को भी बरसते देखा है…!

 

देखा है मैंने लोगों को ,

करीब से बदलते देखा है..!

 

देखा है? हाँ मैने देखा है

इश्क़ में लोगों को जान भी

 

देते देखा है! पर जिसके लिए जान

दी उसे उफ्फ तल्क नहीं आती …!

 

ऐसा दिल भी देखा है..!

 

पर ऐसा करने वालों को रात की नींद

और दिन का चैन भी छीनते देखा है ..!

 

देखा है? हाँ मैने ही देखा है

लोगों को बड़े करीब से बदलते देखा है..!

 

जब सफल होता है व्यक्ति तो उसका

गुनगान भी करते देखा है…!

 

पर मैंने एक सफल व्यक्ति की पहचान को भी

मिटते देखा है..!

 

अब देखने को क्या ही रह गया है? हाँ

मैं ही वो शख्स हूँ जो यह सब मिटते देखा है!

 

देखा है मैंने लोगों को

बडे़ करीब से बदलते देखा है..!

 

पर इतना सब देखने के बाद ये कहता हूँ

जो बहरूपियें हैं वो बदले अपने आप को..!

 

मैं न तब ही बदला था न अब ही बदला हूँ और

न बदलूंगा

ये बातें बड़े ही ईमान से कहता हूँ ..!