लेखक लेखनी मत छोड़
लेखक, लेखनी मत छोड़,
सत्य बता झूठ को तोड़,
सच का मुँह ना फोड़,
मोह अगर कोई दे दे तो भी,
सच का साथ कभी ना छोड़,
लेखक, लेखनी मत छोड़।
सत्य का संगत संकट से है
पर,इसका साथ न छोड़,
बहकावे में तुम आओगे तो,
लेखनी की होगी तोड़ मरोड़,
सत्य की नींव लगाया,
सच्चाई कि स्याही में डुबोया
सच को डूबने न दो तुम,
मिथ्या का चाहे हो कितना भी शोर,
लेखक, लेखनी मत छोड़।
न हिंसा हो न रक्त बहे
तलवार को यह रोके रहे
अतः,लेखक तू लेखनी मत छोड़।
डॉ रजनी दुर्गेश
हरिद्वार