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चुनाव आया

*चुनाव आया*

लगता चुनाव आया है ..
जे हर बार मुँह लटकाये फिरता ,
उसके पटिया पे चमकाव आया है,
आगे-पीछे घूमी जो करे बड़बड़ ,
नरेगा राशन कार्डकी चाव आया है ।
लगता…..
वाणी मे पालिस के भाव आया है
नेता जी में अचानक बदलाव आया है
लगता….
दो -चार मिल किया चापलूसी
पुरा कार्यकाल जिया खुशी-खुशी
चाय-समोसा दरी लगाई आमसभा में
गमछा में अचके स्वभाव आया हैं।
लगता…
कोई वार्ड मुखिया कोई सरपंच बने
भार मे जाएँ पहले हम टंच बने
बड़ी- बड़ी लग्जरी चैन ले हम
शौक पुरा करने की दाव आया है ।
लगता ….
जाड़ेमें सगरी कंबल-चादर फेकाए
बारबार दौड़ सबके हाल चाल पुछाए
बिन बुलाए सबके घर समा गुन्जाए
आज चौक सगरी अलाव आया हैं।
लगता …
कोई चरित्रहीन अपनेको न्यायप्रिय बताएँ
कही कफनचोर कोई हरिश्चन्द्र बन जाएं
देखा नही स्वयं को लंबा डीन्ग हकाए
सबका अलगे-अलगे भाव आया है ।
लगता …
कही चौक साफ तो कही बगिया चमके
हर गलती मे चमचन पे मालिक भौके
सही शुद्ध विचारी सगरी बैनर चमके
देख साधु के सगरी बदलाव आया है ।
लगता पंचायती चुनाव आया हैं
लगता चुनाव आया हैं ।

शैलेन्द्र कुमार साधु
जलालपुर सारण बिहार
9504971524