महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता ( स्त्रीत्व)
डर कर,थक,ऊब कर
वह प्रत्येक स्त्री!
जो आत्महत्या करके मर गई;
कमल और कुमुदिनी थी।
और जो जिंदा रह गई
फिक्र में घर-गृहस्थी,
बाल-बच्चों के।
वह औरत मुझे,
पोखर की हेहर/थेथर
(नहर, तालाब के किनारे
उगने वाले हरे पौधे)
की डालियाँ लगी।
जिन्हें लाख उखाड़ कर फेंको,
पुनः फफक कर बेतहाशा
चली आती हैं।
जीवन की संभावना में,
पोखर के उरस जाने के बाद भी
मौजूदगी उनकी,
अचंभित कर जाती मुझे।
जिंदा कब्रगाह हैं,
उस पोखर के याद की,
संघर्षशील अस्तित्व बर्बाद सी।
पाण्डेय सरिता