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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता,, बसंत उत्सव हेतु

बसंत को  समर्पित,,,रचना,,दोहे,,,,

अधरों पर टेसू खिले,महुआ महके नैन।।

देह हुई कामायनी,यह बसंत की दैन।।

 

उनको यह मधुमास है,जिनके  साजन पास।।

जिनके साजन दूर हैं,देखे गए उदास।।

 

धरती भी धारण करे, पीताम्बर परिवेश।।

सिर पर ओढ़े चूनरी ,रख मन मोहक भेष।।

 

बूढा बरगद चाहता,छूना अधर पलास।।

ऐसे ही प्रेरित करे, हम सबको मधुमास।।

 

ऋतुओं का राजा कहें,सब बसंत को आज।।

ग्रंथों में उल्लेख है, माने यही समाज।।

 

प्रेम बिना यह जिंदगी, सच में है बेकार।।

प्रेम अगर सच्चा मिले, जीवन हो छतनार।।

 

मधुर मिलन अभिसार से,चलता है संसार।।

निर्मल निष्छल नेह ही, है जीवन का सार।।

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बृंदावन राय सरल सागर एमपी

मोब,,,7869218525