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“गाथा वीर सपूतों की”

भारत के वीर सपूतों की गाऊँ मैं गाथा नित्य प्रति, 

हर- हर महादेव के बोलों को दोहराऊंगी मैं नित्य प्रति|

आकाश पे पड़ती रेखाएँ करे उनके शौर्य का गुणगान, 

जल -थल या वो नभ में हों हर जगह उन्हीं का कीर्तिमान|

वो न रुकना झुकना सीखा है शमशीर पे रखता सदा हाथ, 

अपना तो शीश कटा लेगा भारत का मान बढ़ाएगा |

इन शेरों की जो माता हैं बलिदानों की जो गाथा हैं,  

अर्पण कर देती अपने लाल माँ भारती पा कर होती निहाल

वो माँ भी जिसने जन्म दिया, वो पिता भी जिसने प्रेम दिया

वो बहन भी जिसने स्नेह दिया, वो पत्नी भी जिसने प्रेम किया

सब के हृदय की यही पुकार जाओ तुम देश का रखो ख्याल

हम पैरों में न डालेंगे अपने ममता की बेड़ी कभी |

भारत के वीर सपूतों की गाऊँ मैं गाथा नित्य प्रति, 

हर- हर महादेव के बोलों को दोहराऊंगी मैं नित्य प्रति|