तुमसे मैं
कह दूँ क्या तुमसे मैं,कह ही दूँ क्या तुमसे मैं,
कहना चाहूँ तुमसे मैं कह देती हूँ तुमसे मैं||
इस जीवन में चाहा जिसको बतलाती हूँ तुमसे मैं|
पंख पसारे उड़ा परिंदा अंबर की ऊँचाई मापी, सागर कितना गहरा है बतलाती हूँ तुमसे मैं||
सागर में जितने मोती हैं, उतना दिल में प्यार भरा,
अंबर पर जितने तारें है, साहस का अंबार भरा,
मोहन की मुरली की धुन पर, थिरक उठी राधा रानी, जितना प्रेम है राधा कृष्ण का उतना करती तुमसे मैं||