महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते
संयोग श्रृंगार रस से पूर्ण कविता
शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते
सुनो प्रिय प्यार की राह में चलते चलते,
सहेंगे सुख-दुख हम दोनों हँसते हँसते।
तुम ही हो मेरी मोहब्बत तुम ही मेरे मीत,
साथ हो तुम तो मिलेगी सदा हमें जीत।
प्रिय तेरे संग रहने को मेरा मन चाहता है,
लिपटी रहूँ सदा तुझसे मेरा तन चाहता है।
क्या करूँ मुझे तुम सा कोई नहीं दिखता है,
मन मेरा हर घड़ी बस तेरा नाम लिखता है।
संग हो तुम तो सुलभ हो जाए जीवन-पथ,
छटता तिमिर और मन को मिले रश्मि-रथ।
प्रिय,नहीं रह सकती मैं कभी तुम्हारे बिन,
साथ हो तुम तो मन-दीपक जले हर दिन।
आओ प्रिय,प्यार की राह में चलते चलते,
वक्त बिताएंगे सदा हम दोनों खेलते खेलते।।
रचनाकार-मनोरमा शर्मा
स्वरचित एवं मौलिक।
हैदराबाद
तेलंगाना