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रमेश कुमार सिंह रुद्र की नई कविता ‘मां सरस्वती’

वीणावादिनी ज्ञानदायिनी ज्ञानवान कर दे….

माँ रूपसौभाग्यदायिनी नव रुप भर दे….

हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे…..

वीणापाणिनि शब्ददायिनी शब्दों से भर दे….

ज्योतिर्मय जीवन

तरंगमय जीवन

सभी जन प्रकाशयुक्त

सभी जन ज्ञानयुक्त

अज्ञान निशा को

जीवों से दूर कर दे…..

सत्य पथ सत्यमय

वीणा के तारों से

विद्या-विनयमय

स्वरों की झंकारों से

सभी जीव-प्राणि को

सुखद पल भर दे…..

कमलासिनी कमलनयन से सभी को दृष्टि दे.

वाग्देवी माँ वागेश्वरी वाणी से सभी को वृष्टि दे.

कमंडलधारिणी करकमलों से सभी को वृद्धि दे.

बुद्धिदात्री ब्रम्भचारिणी सभी को सृष्टि दे.

©️रमेश कुमार सिंह रुद्र