हाथों में माई ले आँचल का कोर
तुलसी चौरे की वो दीपक बाती तेल सराबोर
नारंगी साँझ की सिन्दूरी सी नभ में
घर लौटती चिड़ियों के झुण्डों का शोर
पैरों में चपलता स्वर समवेत
भक्ति कुछ ऐसी की मुट्ठी में रेत
चित कान्हा कंठ महादेव
भुजा मारुति लव पे राम
ओ… बाँसों की फुनगी से उतर रही शाम
स्नातकोत्तर, भूगोल विभाग
ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय
दरभंगा, बिहार
मो8678018584, ईमेल – [email protected]
Last Updated on September 10, 2020 by admin