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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

6 मैपलटन वे, टारनेट, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from 6 Mapleton Way, Tarneit, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

शराब कहते है

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हलक को जलाती ,
उतरती हलक में शराब कहते है।।
लाख काँटों की खुशबू गुलाब कहते है।।
छुपा हो चाँद जिसके दामन में
हिज़ाब कहते है।।
ठंडी हवा के झोंके उड़ती जुल्फों
में छुपा चाँद सा चेहरा, बिखरी
जुल्फों में चाँद का दीदार कहते है।।
सुर्ख गालों की गुलाबी ,लवों की
लाली बहकती अदाओं को साकी
शवाब कहते है।।
लगा दे आग पानी में सर्द की
बर्फ पिघला दे जवानी की रवानी
जवानी कहते है।।
जमीं पे पाँव रखते ही जमीं के
जज्बे जर्रे में हरकत जमीं
की नाज़ मस्ती हद हस्ती
मस्तानी कहते हैं।।
सांसों की गर्मी से बहक जाए
जग सारा जहाँ का गुलशन
गुलज़ार कहते है ।।

धड़कते दिल की धड़कन से साज
नाज़ मीत का गीत संगीत कहते है।।
सांसो की गर्मी से निकलती
चिंगारी ,ज्वाला हसरत की दीवानी शाम की शमा कहते है।।
मिटा दे अपनी हस्ती को या
मिट जाए आशिकी में आशिक
आशिक नाम कायनात कहते है।।
नशे में चूर इश्क के जाम जज्बे
में हुस्न का इश्क दीदार कहते
है।।
नादाँ दिल की शरारत में
कमसिन बहक जाए कली
नाज़ुक का खिलना चमन
बहार कहते है।।
सावन के फुहारों
,वासंती बयारों में बलखाती बाला बंद
बोतल की शराब पैमाने का इंतज़ार कहते है।।

इश्क के अश्क ,अक्स एक दूजे के
दिल नज़रों में उतर जाए इश्क की इबादत इश्क इज़हार कहते है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

Last Updated on March 23, 2021 by nandlalmanitripathi

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