एहसास ..
थी उम्मीद कि तुमसे मिलके, जिंदगी-जिंदगी होगी |
फक्त ना उम्मीदी ने ना छोड़ा पीछा मेरा बरसों तक ||
मेरे शायराना अंदाज टूट कर बिखर-बिखर के जुडते रहे |
फिर न जुड़ सके तेरे टुकड़े-टुकड़े किए हुए वो खत ||
ये मालूम है कि बदनसीबी, तुमसे और दूर -दूर ले जाएगी|
मगर जिद्द अपनी भी ये है देखे बेबसी रुलाती है कहाँ तक ||
ऐ दोस्तों भूल कर भी मेरा हाल न पूछ बैठना |
बहुत रोई हूँ उसकी चाहत में ,रात भर,उम्र भर ||
अब अंधेरा है ज़रा , मेरे छोटी सी जिंदगानी में |
देखे खटखटाती है रोशनी, तकदीर का दरवाज़ा कब तक ||
डॉ कविता यादव
Last Updated on January 16, 2021 by drkavitayadav42
2 thoughts on “प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता”
drark23021972@gmail.com*
अति सुन्दर रचना प्रस्तुत किया है आपने।