1 एक बार तुम नदी बन जाना
बड़ी मासूम हैं
मन की हसरतें
कभी कहती नहीं
सुनती भी नहीं
पर बयां कर देती है
दिल की सारी बातें
फिर दूरियों की
परिधि खत्म कर
होता है मिलन
निर्झर का नदी से
इसी जलधार की
शीतलता में
नाद होता है
गुनगुनाने लगती है
नदी, प्यार की
गहराई नापती हुई
कहती है फिर
निर्झर से,
एक बार तुम
नदी बन जाना
एक बार फिर से
पहली बार की तरह
मेरी सांसों में घुल जाना
बस एक बार तो
तुम भी नदी बन जाना
2 अस्तित्व
मेरे होने न होने का
कहा नहीं जा सकता
पर तेरे होने से ही
मेरे होने का अस्तित्व है
मैं खुश हूँ या उदास
पता नहीं पर
सत्य है तेरी ख़ुशी ही
मेरी खुशियों का अस्तित्व है
मैं लिखने लगा कविताएँ
आजकल पर
पर तेरे लिखने में ही
मेरे शब्दों का अस्तित्व है
तुम्हें नींद कहाँ आती है
मेरे बिना, अकेले
पर किसी के साथ हूँ अकेला
तेरा साथ ही अस्तित्व है
होगी मतलबी दुनिया सारी
हो जाती हो तुम भी निराश
पर मैं न मतलबी हूँ न निराश
मुझमें तो तेरा ही अस्तित्व है
बात सुकून की करते हैं तो
सुकून तुझ पर ठहर जाता है
तेरा मेरा क्या है,पर
तेरा सुकून ही मेरा अस्तित्व है
कवि परिचय
हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”
हिन्दी शिक्षक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली
9829960782 hindijudwaan@gmail.com
माता-पिता- श्रीमती गौरां देवी- श्री कालूराम भार्गव
प्रकाशित रचनाएं-
जलियांवाला बाग- दीर्घ कविता (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- खंड काव्य)
मैं हिन्दी हूँ- राष्ट्रभाषा को समर्पित महाकाव्य (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- -महाकाव्य)
साहित्य सम्मान –
स्वास्तिक सम्मान 2019 – कायाकल्प साहित्य फाउंडेशन नोएडा, उत्तर प्रदेश
साहित्य श्री सम्मान 2020- साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्थान, मुंबई महाराष्ट्र
ज्ञानोदय प्रतिभा सम्मान 2020- ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक
सृजन श्री सम्मान 2020 – सृजनांश प्रकाशन, दुमका झारखंड
कलम कला साहित्य शिरोमणि सम्मान 2020 – बृज लोक साहित्य कला संस्कृति का अकादमी आगरा
आकाशवाणी वार्ता – सिटी कॉटन चेनल सूरतगढ, राजस्थान भारत
काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य-
वीर पंजाब की धरती (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- – महाकाव्य)
तुम क्यों मौन हो (द्वय लेखन जुड़वाँ भाई हेतराम भार्गव के साथ- -खंड काव्य)
उद्देश्य– हिंदी को सरकारी कार्यालयों में लोकप्रिय बनाना।
Last Updated on May 25, 2021 by hindijudwaan