“प्रेम काव्य – लेखन प्रतियोगिता” हेतु
हमको भूला न पाओगे
क्या भूल गए हमें?
दिवाली के दीयों की रोशनी में हम है,
उड़ती पतंग के साथ उड़नेवाली हवा में हम है,
होली के लाल – गुलाबी रंगों में हम है,
कैसे भूलोगे हमें!
सूरज की पहली किरण हम है,
चांद की चांदनी में हम है,
ढलती शाम की रंगत में हम है,
कैसे भूलोगे हमें!
शर्दीओ की कड़कती ठंड में हम है,
ग्रीष्म की तपती धूप में हम है,
बारिश की रिमझिम बूंदों में हम है,
कैसे भूलोगे हमें!
पंछी के गानों में हम है,
तितली की उड़ानों में हम है,
नदी के बहाव में हम है,
कैसे भूलोगे हमें!
तुम्हारे ग़म और खुशी में हम है,
तुम्हारे आंसू और मुस्कान में हम है,
बाहें फैला के तो देखो,
तुम्हारी आगोश में हम है,
क्या अब भी भूला पाओगे हमें?
रचनाकार का नाम: रंजना सोलंकी भगत’रोशनी’
पदनाम: लेखक
पता :सी.503/राधे किशन रेसिडेंसी,कर्नावती मोल,वस्त्राल, ओढव, अमदावाद ३८२४३०.
गुजरात, भारत।
Mo.9727335811
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Last Updated on January 8, 2021 by ranjanabhagat70