बेरोजगार
कितना मुश्किल यह स्वीकार
हूँ, मैं भी बेरोजगार।
सत्य को झुठलाया भी नहीं जा सकता
न ही इससे मुँह मोड़ सकती हूँ मैं
परम् सत्य तो यही है
लाखों लोगों की तरह
मैं भी हूँ बेरोजगार।
कभी-कभी मन भारी हो जाता
इतनी डिग्री पाकर, क्या हासिल कर लिया मैंने
अच्छा, होता कम पढ़ी-लिखी होती
मन को तसल्ली तो दे पाती
तब इतना दर्द भी नहीं होता शायद
बेरोजगार होने का।
पड़ोसी भी मज़ाक उड़ाने लगे है
क्या सारी उम्र पढ़ाई ही करनी है?
नौकरी करने का इरादा भी है या नहीं?
अपनी रोजगार बेटियों के दम पर
मेरे इस बेबसी का
पर सच तो यही है, हूँ मैं बेरोजगार।
पापा ने भी वैकेंसी के बारे में
बात करना छोड़ दिया
माँ का भरोसा भी उठने लगा, मुझसे
सभी साथी आगे निकल गए
जीवन के इस संघर्ष में
मैं ही नालायक निकल गयी उन सब में
तभी तो आज भी हूँ, बेरोजगार।
किसे कोसूँ अब मैं, अपनी किस्मत को
या उस सरकार को जिसके शासन में
भर्ती निकले तो इम्तहान नहीं होते
परीक्षा हो तो, परिणाम राम भरोसे
परिणाम निकल भी गया
बिना पॉवर की वजह से बाहर कर दिया जाता
इंटरव्यू में।
कहने को तो युवा है देश का आधार
फिर क्यों युवाओं का मान नहीं।
सरकारें आती हैं जाती हैं
युवाओं को रोजगार देने के नाम पर
फिर भी हर साल बढ़ती जाती, बेरोजगारी
युवाओं को मिलती
हर बार बस निराशा
मेरी ही तरह।
फिर भी न कोई करता बेरोजगारी पर बात
कब तक यह युवाओं की जान लेती रहेगी
रोजगार देने के नाम पर
अपनी ही जेब गर्म करते जाएँगे।
बहुत सहन कर लिया
अब और नहीं
समय आ गया है
जवाब माँगने का
युवा शक्ति क्या है, बतलाने का
बहुत चुप्पी साध ली, अब वक्त है
आवाज़ को बुलंद करने का
न रुकना है, न झुकना है, न हार मानना
कदम से कदम मिलाकर चलना है
हकों को पाकर ही दम लेना है।
- – सपना
संपर्क : हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़-160014, मोबाइल नंबर 9354258143, ईमेल पता : sapnanegi68@gmail.com
Last Updated on October 21, 2020 by srijanaustralia