अन्तर्राष्ट्रीय महिला काव्य प्रतियोगिता
शीर्षक — ” मातायेँ लें संकल्प “
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माताएँ लें संकल्प!!
तभी बदलेंगी काया-कल्प!!
जब तक रहेगी मन में,
उमंगे भरी खुशहाली।
तब तक छाई रहेगी हमारे ,
जीवन की हरियाली।।
जल जीवन का है प्राण ।
वनस्पतियों के होते त्राण।।
बेटी ,वृक्ष और जल ,
संरक्षित करना सीखें ।
भावी जीवन में माँगनी
न पड़े इसकी भी भीखेँ ।।
बेटियों को बेटी ही समझो,
वो मातृस्वरूपा होती हैं ।
बेटा- बेटी एक समान।
फिर क्यों ?
होती हैं ,बेटियों की दान ?
दहेज जैसे संक्रामक रोग को ,
कोशिश करें जड़ से भगाने की,
अगर होती रहेंगी ,
दहेज देकर शादियाँ ।
न बच पायेंगे बेटे ,
न चैन से ,
जी सकेगी बेटियाँ ।।
अगर सच्चे दिल से जिस माँ ने ,
अपनी कोख से दिया जन्म,
बेटा- बेटी को ,
लेना होगा एक फैसला ,
पूरा करना होगा इस संकल्प को ,
हम माताएँ ,
न लेंगे दहेज !
न देंगे दहेज!!
तभी रह पायेंगे ,
रिश्तों की डोरी मजबूत
न होगा कोई बृद्धाश्रम,
न होगा विधवाश्रम,
आज इन कुरीतियों के
कारण और अभिशाप
ये दहेज ,दारु
इनके कारण हो रहे महानाश
जा रहीं हैं लोगों का प्राण।।
‘मानव शृंखला
सिर्फ शृंखला ही न
बनकर रह जाएं”
इन श्रृंखलाओं के पीछे,
छुपी हईं हैं आभाएँ ।
विश्वास भरी उम्मीदें,
और हमारी आशाएँ ।।
Last Updated on January 20, 2021 by nutansinha139