बेटी
बेटी है घर की फुलवारी
बेटी है माँ पिता की दुलारी
महके घर का कोना कोना
वह घर स्वर्ग जहाँ बेटी का होना
बेटियाँ घर को महकाती है
सुन्दर गुलशन सा बनाती है
बेटियाँ खुशी है रोशन संसार है
बेटियाँ आदर्श है स्नेह प्यार है
बेटियाँ संस्कार है संस्कृति है
बेटियाँ धर्म की धुरी वृति है
बेटियाँ रमा शारदा सविता है
बेटियाँ निर्मल पावन कविता है
बेटी स्वयं लक्ष्मी का स्वरुप है
बेटी संस्कार भरा सुमधुप है
बेटी उद्यान है गुलशन सुगंध भरा
बेटी खुशी है श्यामल सुखद धरा
हरघर बेटी के नए नूतन नाम
मुख पर आते ही सुखद छाये
भाइयों की दुलारी माँ की लाडली
पिता की गुड़िया परी कहलाये
कहीं सुमन पुष्पा सविता कविता
कहीं चंदा मीनाक्षी मनीषा पूजा
हर नाम बसै स्वयं ब्रह्म के रूप
अनन्य सभी नाम में बसे ईश्वर दूजा
बेटी खुशी है सुखद है उमंग है
बेटी इन्द्रधनुष के सभी रंग है
बेटी भाग्य से घर में आती है
बेटी स्वयं शारदे की थाती है
मीनाक्षी डबास “मन”
प्रवक्ता (हिन्दी)
राजकीय सह शिक्षा विद्यालय पश्चिम विहार शिक्षा निदेशालय दिल्ली भारत
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माता -पिता – श्रीमती राजबाला श्री कृष्ण कुमार
प्रमुख प्रकाशित रचनाएं – घना कोहरा,रिमझिम रिमझिम, मोबाइल देवता, नया सवेरा (हाइकु), बादल, बारिश की बूंदे, शब्द संसार, मजदूरों की मजबूरी, सीढ़ी, धागा, स्त्रियों के बाल, रेखाओं में मजदूर, वीर राणा प्रताप, भारत के पूत, नव जीवन वरदान, कोरोना काल, गढ़वाल राइफल का वीर, मेरी सहेलियां, मन का दरिया, खो रही पगडण्डियाँ, बेटी ।
उद्देश्य – हिन्दी भाषा का प्रशासनिक कार्यालयों की प्राथमिक कार्यकारी भाषा बनाने हेतु प्रचार – प्रसार
Last Updated on January 24, 2021 by mds.jmd