देखो ढल गया है दिन…
और शायद तुम भी…
मेरे जीवन में…!
पर इक आस तो बाकी है…
शायद…फिर से निकले ये सूरज,
शायद…फिर से हो इक सवेरा,
मेरे जीवन में…!
देखो…ढल गया है दिन….
ठीक वैसे ही…
जब मुझ पर अंधेरा छाया था,
और तुम…
सागर के अंत पर….
जीवन के उस क्षितिज पर…
डूबी जा रही थी…
और मैं…
और मैं….देखता रहा था…
उस ओर…
निरंतर…!
निरंतर…!
निरंतर…!
कि बस…उसी इक आस में…
कि शायद,
फिर से निकले वो सूरज…!
शायद…फिर से हो वो सवेरा…!
मेरे जीवन में…!!
मेरे जीवन में…!!!
Last Updated on January 22, 2021 by rtiwari02