मुझे उस ओर जाना है
मुझे उस ओर जाना है” कविता समस्त स्त्री वर्ग की जिजीविषा को उन्मुक्त वातावरण में जीने, खुलकर हँसने, अपने अरमानों को पूर्णता की ओर ले जाने का आह्वान करती है।
मुझे उस ओर जाना है
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ तुम हो जहाँ मैं हूँ
जहाँ हम एक जीवन हों।
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ जीवन का स्पंदन हो
मृत्यु का नहीं भय हो।
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ आदि तुम्हीं अंत हो
न कोई और परिचय हो।
मुझे उस ओर जाना है
गगन विस्तार विस्तृत हो
न सीमाओं का बंधन हो।
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ तुम एक ही तत्व हो
न भेदों का जहां गढ़ हो।
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ तेरा न मेरा हो
जो भी हो हमारा हो
मुझे उस ओर जाना है
समष्टि का जहाँ हित हो
व्यष्टि भी वहीं युक्त हो।
मुझे उस ओर जाना है
जहाँ हर जीव विकसित हो
हर प्राण विलसित हो।
कवयित्री परिचय –
मीनाक्षी डबास “मन”
प्रवक्ता (हिन्दी)
राजकीय सह शिक्षा विद्यालय पश्चिम विहार शिक्षा निदेशालय दिल्ली भारत
माता -पिता – श्रीमती राजबाला श्री कृष्ण कुमार
प्रकाशित रचनाएं – घना कोहरा,बादल, बारिश की बूंदे, मेरी सहेलियां, मन का दरिया, खो रही पगडण्डियाँ।
उद्देश्य – हिन्दी भाषा का प्रशासनिक कार्यालयों की प्राथमिक कार्यकारी भाषा बनाने हेतु प्रचार – प्रसार।
Last Updated on February 2, 2021 by mds.jmd