न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

6 मैपलटन वे, टारनेट, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from 6 Mapleton Way, Tarneit, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

नौजवान

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1-जिंदगी एक संग्राम है आशा का परचम लहरा जिंदगी के कदमों के
निशाँ है।।
जीवन एक संग्राम है
दुख ,दर्द ,धुप और छाँव है
आशा,निराशा रेगिस्तान और तूफ़ान है।।
आंसू ,गम ,मुस्कान है
शोला शबनम शैलाभ है
जीवन में आस्था हथियार है
विश्वाश विजेता का व्यहार है।।
जिंदगी का होना विजेता की
जिंदगी जवाँ ,जोश की शान है
जवां ,जज्बा जिन्दा जिंदगी
पहचान है।।

आशाओं की अवनि ,आरजू का आसमान नौजवान
आशाओं का परचम लहरा
वर्तमान की चुनौती कर रहा स्वर्णिम इतिहास का निर्माण।।
जिंदगी के धुप ,छाँव का योद्धा
तपती रेगिस्तान के शोलो की अग्नि पथ को पथ विजय में बदलता अवरोध सारे तोड़ता आशा का परचम लहराता समय काल की जान की मान जिंदगी जिन्दा नौजवान है।।

2- नौजवान आशा का भविष्य–

मर्द मूल्यों का ,दर्द का एहसास
नहीं तमाम दर्दो को दामन में समेटे लड़ता जिंदगी का संग्रामआशा का परचम लहरातादुनियां में रौशन नाज जिंदगी नौजवान।।

तपिस के अंगार को शबनम की
बूँद में तब्दील कर दे सर्द के बर्फ
को अपनी ज्वाला से अंगार कर दे
वक्त को मोड़ दे आशा का परचम
लहराता निराशा को विश्वाश में बदलता जिंदगी के जंग का जाँबाज नौजवान ।।
नज़रों में मंज़िल मकसद आंसू
भी मंजिलों का अंदाज़ मंजिल
मकसद के कारवां का अकेला मुसाफिर ज़माना देखता चलता
उसकी राह हर हाल में अपनी
मकसद मंजिल की मुस्कान आशा
का परचम लहराता जिंदगी का अंदाज़ नैजवान् ।।
अपने हद हस्ती को निर्धारित करता दुनियां के दामन की खुशियों का तरन्नुम तराना।।
आशा का परचम लहराता जज्बा
ज़माने की आन बान नौजवान
जिंदगी जहाँ में होने का वाहिद आगाज़।।

3–मुश्किलों का विजेता नौजवान —-

हर जहमत से दो दो हाथ
हर मुश्किल की मईयत उठाता
दुस्वारी की महामारी को दुकडे
टुकड़े करता अंधेरो की चाँदनी
सूरज चाँद आशा का परचम लहराता वक्त की अपनी इबारत
का नौजवान।।
तूफानों से लड़ता लडखडाती
कश्ती का मांझी उम्दा उस्ताद
जिंदगी के भंवर मैं नहीं उलझता
मझधार में मौके का पतवार आशा का परचम लहराता लहरों
को चीरता भवरों से निपटाता
जिन्दंगी का जांबाज नौजवान।।
जिंदगी वही जिन्दा हर सवाल
का रखता जबाब ,आई किसी
भी सूरते हाल से टकरा जाने की
मस्ती माद्दा आशा का परचम
लहराता दिलों में बुझाते रोशनी का चिराग नौजवान।।
ना जज्बा ना जज्बात ना
हिम्मत ना हौसलों की उड़ान
ना इरादे फौलाद हो ना अपने
वक्त कदमों की शान पहचान
मुर्दा उस जिंदगी को जान।।
जिन्दा जिंदगी हिम्मत की जागीर
हौसलो का नया आसमान इरादों
की बुलंद इबादत इबारत आशा का परचम लहाराता जिंदगी विजेता जहाँ की गूंज गुंजन आवाज का नौजवान।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

Last Updated on February 20, 2021 by nandlalmanitripathi

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