आज फिर तेरा खयाल आया,
बेवजह मन में इक सवाल आया…!
कल साथ थे जो गर,
अब दूर कैसे हो…?
है इश्क़ गर मुझसे,
मजबूर कैसे हो…?
तेरी आवाज़ की गूंजें,
मेरे संगीत की सरगम,
मुझे तन्हाइयां देकर,
भला मशहूर कैसे हो…?
उलझनों की कशमकश से,
मन में क्यूं फिर उबाल आया…??
आज फिर तेरा खयाल आया,
बेवजह मन में इक सवाल आया…!
बेवजह मन में इक सवाल आया…!!
चले जाना ही था तुमको,
भला आए ही क्यूं थे तुम…?
मेरी पहली सी उस नज़र पर,
मुस्कुराए ही क्यूं थे तुम…?
मैं चला ही जाता,
तेरी बेरुखी को देख कर,
बेवजह मुझपर ये प्यार का रंग,
चढ़ाए ही क्यूं थे तुम…?
अब उतरते नहीं तुम खयालों से,
मेरे मत्थे ही क्यूं ये बवाल आया…??
आज फिर तेरा खयाल आया,
बेवजह मन में इक सवाल आया…!
बेवजह मन में इक सवाल आया…!!
©ऋषि देव
Last Updated on January 22, 2021 by rtiwari02