हाँ वो पगला है
लोग तो उसे यही कहते है
और समझते भी यही है।
एक दिन मैं चल रहा था कुछ गुनते
अचानक से मिल गया मुझे वह राह चलते
वह मुझे देखा
देखकर कुछ सोचा
रास्ते मे मुझे टोका
फिर कुछ बड़बड़ाया।
पहले तो मैंने की अनदेखी
उसकी बातों को की अनसुनी
फिर कान में पड़ती उनके शब्दों पर किया गौर
आँखे भी उसके चेहरे के भावों को पढ़ने हो चली तैयार।
सुन के उसकी बाते मन हुआ अचम्भित
मस्तिष्क भी हो गया विस्मित
जीवन का अनुभव था उसकी बातों में
लगे बताने मुझे जीवन के गुढ़ तथ्यों को
समझाते दे रहे थे जिंदगी की नसीहते वो।
मैं सोचने लगा
तर्क वितर्क मस्तिष्क में चलने लगा
क्या जीवन के रहस्य को समझ लेना
अपने उन कीमती अनुभवों को बताना
उन लोगो को जिनके पास समय नही सुनने का
लगता है जिन्हें व्यर्थ और बकवास की बाते उसकी
ऐसे लोग जो शायद समझ भी ना पाए उसे
जिसकी सोच भी शायद पहुँच ना पाए उस स्तर तक
सोचता हूं कि
क्या वो “पगला” है
या उसकी बातों को समझ ना पाने वाले लोग है “पागल”।
Last Updated on January 23, 2021 by sheetal.phy14