छोने को सीख
आ मेरे प्यारे छोने ! आज जी भर के तुझे चूम लूँ ,
संग तेरे खुशियों के दो पल मैं भी झूम लूँ ;
फिर ना जाने किस घड़ी हम जुदा हो जाए
ये बेरहम इंसाँ हमें मारने को आमादा हो जाए ।
उसने नदियाँ, वन, पशु-पक्षी सब तबाह कर दिए, लालच की आग में सब संसाधन स्वाहा कर दी है; जंगलों को उजाड़ कर ईंट-सीमेंट के जंगल बनाएं
जीवों की खाल, सिंग,माँस बेचकर ख़ूब पैसे कमाए ।
मेरे छोने मैं तुझे यही जी भर कर प्यार करूँगी,
भूखी रहकर भी तेरे खाने-पीने का सारा इंतजाम करूँगी ।
पर भूलकर भी तू ना जाना इन इंसानों की बस्ती में,
भावनाओं की कोई कदर नहीं इन हैवानों की बस्ती में ।
अपने ही ग़रीब-मजदूरों पर इतना जुल्म करते हैं- ये
जानवर तो दूर इंसानों का दर्द नहीं समझते हैं-ये इसलिए मेरे प्यारे छोने ! मेरी बात अच्छे से सुन ले तूँ
हमारा घर संसार है यही,अपनी खुशियाँ यहीं से चुन ले तूँ ।
आ मेरे प्यारे छोने ! आज जी भर के तुझे चूम लूँ
संग तेरे ख़ुशियों के दो पल मैं भी झूम लूँ
फिर ना जाने किस घड़ी हम जुदा हो जाए
ये बेरहम इंसाँ हमें मारने को आमादा हो जाए ।
संदीप कटारिया
(करनाल हरियाणा)
Last Updated on February 20, 2021 by sandeepk62643