यातायात-नवगीत
यातायात मन में
दु:ख-विषाद का
चल रहा है।
जगह-जगह हो रही
दुर्घटना है।
हो चाहे भोपाल
या पटना है।।
हैं कैसा समय
चाँदनी का
रूप जल रहा है।
धूल-धुंध में डूबी
हैं हवाएँ।
यहाँ पर पखेरू
मर्सिया गाएँ।।
घटाएँ घिरी हुई
और मौसम
बदल रहा है।
अविनाश ब्यौहार
जबलपुर मप्र
Last Updated on November 18, 2021 by a1499.9826795372