स्वामी विवेकानंद
दीन- हीन के उत्थान पथ पर,
जग जीवन को किए उजागर।
भारतीय संस्कृति के निकुंज,
सकारात्मकता का साकार पुंज।
राष्ट्र प्रेम का स्रोत और गुणी,
विवेक संपदा का है महान धनी।
भारतीयता का पगपग साथ दिए,
काया पलटी आनंद विवेक लिए।
लक्ष्य की खोज में बना विवेकानंद,
लेकर परमहंस जी से परम ज्ञानानंद।
युवा पीढ़ी के रहे पथ प्रदर्शक,
हिंदुत्व का सदा सबल प्रतिपादक।
आत्म ज्ञान का हे महान तेज,
मिले सदा तृण मात्र तेरे ओज।
भारतीयता की अमित धरोहर,
नत मस्तक हूँ हे विश्व गुरुवर।
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***मेरी मौलिक रचना है। सर्वाधिकार सुरक्षित***
-अनुराधा के,
वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी,
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन,
क्षेत्रीय कार्यालय,मंगलूरु,कर्नाटक
Last Updated on January 21, 2021 by anuradha.keshavamurthy