साहित्य और समय
समय प्रबाह परिस्थिति परिवेश वर्त्तमान की दृष्टि दिशा मार्ग है।।
साहित्य भाव झरना झील नदियां
सिंधु समागम नित्य निरंतता अक्षुण अक्षय उजियार है।।
शब्द ओजस्वी ओज जन जन
मन का आनंद अनुराग राष्ट्र चेतना
क्रांति है।।
संगठित वैचारिक मंथन का अमृतपान
भाँवो की अभिव्यक्ति जन जन का
आवाहन नित्य निरंतर संस्कृति सांस्कार है।।
वर्तमान जन मन की अभिव्यक्ति नित्य निरंतर जीवन मे कल्पना का याथार्त संसार है।।
युग सृष्टि दृष्टि सत्यार्थ महायज्ञ पल
पल जीवन अनंत ईश्वर सत्य प्रदत्त
का आचरण व्यवहार प्रतिविम्ब उजियार है।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।
Last Updated on April 4, 2022 by nandlalmanitripathi