मोह
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सांसों से मोह कभी छूटता नहीं ,
बंधनों में बंध कर भी दम घुटता नहीं!!
शाम निराश तो करती है, पर सुबह की किरणें देख आस का धागा टूटता नहीं!
तिरस्कार, अपमान सब सहना कठिन होता है,
पर मन से जीने का हौसला छूटता नहीं!!
मुस्कानों से भरे चेहरे का एक भी कोना झुर्रियों से बचा नहीं ,
ये आईना भी अब झूठ बोलता नहीं !!!
तुम्हारी आंखों में प्यार वही ढूंढती हूं…
पर कमज़ोर नजरों से साफ कुछ दिखता नहीं !!
उम्मीद करती हूं तुम पुकार लो मुझे प्यार से ,
घुटती ही सही अपने आवाज़ से संवार लो फिर से…
तेरे प्यार की कहानी से मन उबता नहीं!!!
उम्र इतनी बेरहम होगी
नहीं जानती थी ,
जिंदगी इतना रुलाएगी पता नहीं था !!
सभी परेशानियों के बावजूद आश्चर्य है!!
जीने का हौसला बिखरता नहीं!
मोह सांसो से इतना गहरा जाने क्यों है ??
उखडती सांसें हर बार डराती है ..
क्या करुं!!!
सांसो से मोह अब भी छूटता नहीं……..
क्रांति श्रीवास्तव
#अभिव्यक्ति
Last Updated on February 1, 2021 by kranti2571