नारी से मिलता है जीवन यह भूल भला क्यों जाते हैं।
उसके हक का उसको हम सब क्यों सम्मान नहीं दे पाते है।
संपूर्ण निर्भर है उस पर फिर भी हम अकड़ दिखाते हैं।
खाना-पीना चलना हंसना गाना रोना सब उसके हाव-भाव से सीख पाते है
नारी में त्याग समर्पण है वह तो तेरा ही दर्पण है।
जो समझ गए वह समझदार जो ना समझे वह अनपढ़ कहलाते
नारी है नदिया प्रेम भरी जिसमें सारे रिश्ते बेहतर हो जाते है
नारी को अबला मत समझो वह शक्ति स्वरूपा होती है।
कभी दुर्गा कभी काली कभी चंडी उसमें सारे रूप
समाते है।
नारी का सम्मान करो अब तुम न अपमान करो हर क्षेत्र में जा कर देख लो उसके परचम भी लहराते हैं।
~ प्रभा सिंह शाहजहांपुर ,उत्तर प्रदेश
Last Updated on January 15, 2021 by prabhasingh8423